राशि छोड़ नक्षत्र भूलाया ना ही कोई पंचाग लिया ।मेष राशि खुद लग्न को गिनकर 12 पक्के घर मान लिया।। यानी कि लाल किताब में लग्न की राशि को कोई महत्व नहीं दिया लगन चाहे जो भी हो लाल किताब की हर कुंडली का लगन मेष राशि से शुरू होता है।। क्योंकि जैसे वैदिक में गणेश धनेश सुखेश की कल्पना थी उसको मिटाकर खाना नंबर 1 मेष राशि से शुरुआत की यह ज्योतिष की सरलता का प्रतीक है ताकि आम आदमी भी सरल तरीके से इस इल्म को समझ सके हालांकि ऐसा नहीं है कि लाल किताब में राशि को कोई महत्व नहीं दिया पर सरलता के लिए खाना नंबर 1 में मेष राशि को मानकर पूरे 12 घर मान लिए गए जिसमें मेष लग्न हुआ और और आखिर का खाना नंबर 12 मीन राशि हुआ।।।
इल्मे ज्योतिष लाल किताब में हर ग्रह किसी ने किसी खाना नंबर का कारक माना है । जिसे इल्मे ज्योतिष लाल किताब में हर ग्रह को उसके पक्का घर के नाम से याद किया है और नीचे उसकी डिटेल्स दी गई है ।।
*खाना नंबर 1 पक्का घर है सूरज का।
*खाना नंबर दो पक्का घर है ब्रस्पति का
*खाना नंबर 3 पक्का घर है मंगल का ।
*खाना नंबर 4 पक्का घर है चंद्र का।
*खाना नंबर पांच पक्का घर है बृहस्पति ।
*खाना नंबर 6 पक्का घर है बुध और केतु।
*खाना नंबर 7 पक्का घर है बुध और शुक्र ।
*खाना नंबर 8 पक्का घर है मंगल व शनि ।
*खाना नंबर 9 पक्का घर है बृहस्पति का ।
*खाना नंबर 10 पक्का घर है शनि का ।
*खाना नंबर 11 पक्का घर है बृहस्पति ।
*खाना नंबर 12 पक्का घर है बृहस्पति और राहु का।
नोट-जब बृहस्पति ख़ाना नम्बर 9 में हो तो ख़ाली ख़ाना नम्बर 12 का मालिक राहु होगा । बुध जब ख़ाना नम्बर 3 में हो तो खाली ख़ाना नम्बर 6 का मालिक केतु होगा। । अगर बृहस्पति ख़ाना नम्बर 12 या 9 दोनोँ किसी ख़ाने में न हो तो ख़ाली ख़ाना नम्बर 12 का मालिक बुध होगा (यानि की राहू +बृहस्पति की मिलावट से पैदा होने वाला बुध ) । अगर बुध ख़ाना नम्बर 3 या 6 में से किसी जगह भी न हो तो ख़ाना नम्बर 6 का मालिक बुध केतु में से जो भी ग्रह जन्म कुंडली में उम्दा अच्छा नेक मज़बूत हो वही मालिक होगा - ख़ाली खाना नम्बर 6 का मालिक बुध और ख़ाली खाना नम्बर 9 का मालिक बृहस्पति होगा । यह यह इल्मे ज्योतिष लाल किताब के मुख्य मूलभूत आधार नियम हैं इसे हमेशा याद रखें🙏🏼📕🌷