सभी लाल किताब ज्योतिष प्रेमी को नजूमी दलजीत की तरफ से नमस्कार।।
आज हम चर्चा करेंगे मन्सुइ ग्रहों के बारे में लाल किताब में यह भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण अध्याय हैं इसके बारे में किसी भी अन्य ज्योतिषीय ग्रंथों में कोई उल्लेखनीय मिलता है। मन्सुइ यानि की 2 ग्रहों के मिलाप /मिलावट से पैदा होने वाला ग्रह। लाल किताब के बुनियादी असूल सभी ज्योतिष शास्त्रों से बहुत ही अलग है ।
इल्म ज्योतिष लाल किताब की विद्या को सीखते समय वैदिक ज्योतिष या अन्य कोई भी विद्या को दरकिनार रखना ही ठीक है अगर हम दोनों को मिक्स करके सीखने की कोशिश करेंगे तो हम कभी भी लाल किताब को अच्छी तरह से समझ नहीं पाएंगे ना ही सीख पाएंगे।।
आगे सीखते हैं कि कौन से दो घरों को मिलने पर कौन सा तीसरा ग्रह पैदा हो जाता है।।
सूरज +शुक्र =बृहस्पति
बुध +शुक्र =सूरज
सूरज +बृहस्पति= चंद्र
राहु +केतु =शुक्र
सूरज+ बुध= मंगल नेक
सूरज+ शनि =मंगल बद(मंगल बद भी राहू नीच माना है )
बृहस्पति +राहु =बुध
शुक्र +बृहस्पति =सनीचर (केतु स्वभाव)
मंगल +बुध= सनीचर (राहु स्वभाव)
मंगल नेक+ शनि राहु (उच्च * मंगल नेक हो तभी ऊँच)
सूरज +शनि =राहु (नीच मंगल बद स्वभाव का )
शुक्र +शनि= केतु (उच्च)
चंद्र +शनि =केतु (नीच)
मंसूई /बनावटी ग्रहों का लाल किताब में बहुत ही महत्व है- जितने भी लाल किताब के उपाय होते हैं उसमें से तकरीबन 80% उपाय इसी सिद्धांत का आधारित है कि हर ग्रह के दो हिस्से होते हैं एक अच्छा होता है एक बुरा होता है । मसलन् किसी का शुक्र खराब हो रहा हो तो राहु +केतु मिलकर ही शुक्र का रूप धारण करते हैं । इसमें राहु का असर बुरा माना है केतु का असर अच्छा माना है राहु को हटाने के लिए राहू से सबन्धित वस्तुओं का दान (मूली धर्मस्थान में )करने से शुक्र को राहत मिलेगी ।।
मन्सुइ ग्रह का कॉन्सेप्ट से इस इल्मे ज्योतिष लाल किताब की गहराई को समझने का दरवाजा खुलता है। इसे बखूबी जेहन में बिठा लेंवे।।
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