आजकल ज्योतिष में कुछ नयापन देखने को मिल रहा है......
जैसे कि वैदिक ज्योतिष अनुसार कुछ अनिष्ट योग/दोष होते हैं, अंगारक दोष, मंगलीक, श्रापित दोष,कालसर्प दोष,चन्डाल, दरिद्र, अशुभ, शाढ़ेसाती, गन्डमूल व इत्यादि इत्यादि उस पर चलित कुन्डली, नंवाश कुन्डली, षोडषांश -अष्टक वर्ग -सुदर्शन /ग्रह चक्र और भी कई तरह की कुंडली व चक्र बनाकर ३०० से भी अधिक योग/दोष बनते हैं व हमारे ज्योतिष मित्र भी कम से कम ४/५ भयंकर दोष तो निकाल ही देते हैं D1चार्ट से लेकर D80 (मैनें तो सुना है D120/160 Chart भी होता है) तक गोता लगाकर कुछ न कुछ कंकर पथ्थर निकल ही आता है क्योंकि जो जितना बड़ा भयंकर दोष निकाल देवे वो उतना बड़ा जानकार, चलो कोई बात नही हम तो हर इल्मकारों की इल्म को सलाम करते हैं.
जातक तो हमेशा अपना समस्याओं का बाढ़ तो लेकर ही आता है पर जब अपनी कुन्डली में आई हुई इस सूनामी का पता चलता है तो जातक सभी समस्याओं को भूलकर इन भयंकर दोषों के चक्कर में उलझ जाता है, अब जातक कहता है जी जैसे भी हो कुछ करो/ दोष से छुटकारा दिलवाओ ,जब समाधान की बात आती है तब एक और बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है कि समस्या का समाधान कैसे किया जाये?
अभी तक ज्योतिषी जी वैदिक पोथी पत्री को बांच रहे थे व तरह तरह के दोष ऐसे निकाल रहे थे जैसे कि आजकल कांग्रेस मोदी की बाल की खाल उतार रही है, पर जब समाधान का समय आया लाल किताब निकाल लिये व ऐसै ऐसे दोष का उपाय/टोटके बताने लगे जिसके बारे में लाल किताब में अलफ़ बे तक नही लिखा है. क्योंकि वैदिक ज्योतिष में टोटके होते नही, वैदिक मंत्र तंत्र यंत्र यज्ञ तप तर्पण इत्यादि का विधान और इस के लिये बहुत पैसा व समय भी खरचा करना पड़ता है २१०० से १२५०० सवा लाख तक का खरचा आता है। हर आदमी चाहता है कि सस्ते से सस्ते में काम हो, जब ज्योतिष में सस्ते की बात आती है तो सबसे पहले लाल किताब नज़र आने लगता है।
सो ज्योतिषी जी जातक से इन भयंकर दोष बताने का ११०० सौ दक्षिणा लेकर लाल किताब से(कुछ मनगढ़ंत बातें भी ) इन सो कथित भयंकर दोष की शांति के लिये २१ रूपया वाला बता कर चलते बनते हैं।
पर जब उपाय करने बाद भी कोई फरक नही पड़ता-हालात जस के तस बने रहतें हैं फिर लाल किताब पर ही शक़ करने लगते हैं॥ जो बिमारी नही उसका इलाज कैसा!!!!
क्या यही ज्योतिष है!
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June 28, 2014
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